Thursday, 7 December 2023

उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु के निमित्त उत्पन्न होने वाली एकादशी का व्रत किया जाता है।

विस्तार मार्गदर्शक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के निमित्त ब्रह्मा पक्ष की ओर से किया जाता है। तृतीया तिथि प्रारंभ 8 दिसंबर प्रातः 05 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 9 दिसंबर प्रातः 06 बजे 31 मिनट पर होगा। ऐसे में ब्रह्माण्ड ब्रह्माण्ड का व्रत 8 दिसंबर को महत्वपूर्ण चतुर्थी के अनुसार रखा जाता है जो मनुष्य ब्रह्माण्ड ब्रह्माण्ड का व्रत करता है। वह वैकुंठधाम में जहां साक्षात गरुणध्वज मंदिर हैं,जाता हैं। जो मनुष्य ब्रह्माण्ड महात्म्य का पाठ करता है, उसे सहस्त्र गोदान के पुण्य का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सिद्धांत है कि इस व्रत के मिलन वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तप, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फल भी अधिक होते हैं। 


पूजा विधि इस दिन देवी ब्रह्माण्ड सहित भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करने का विधान है। इस दिन ब्रह्मा उत्सव के समय भगवान का पुष्प, धूप, दीप, चंदन, अक्षत, फल, तुलसी आदि से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलाहार का ही भोग लगाया जाता है।' ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अति उत्तम रहता है। साईं के समय देवालय में दीपदान करने से पुण्य फलों की वृद्धि होती है। श्री विष्णु कृपा के लिए रात्रि में भजन-कीर्तन आदि प्राप्त करें।


पौराणिक कथा सतयुग में एक महाभयंकर दैत्यमुर ने इंद्र देवताओं पर विजय प्राप्त की थी, उन्हें उनके स्थान से अलग कर दिया गया था। तब इंद्र और अन्य देवता क्षीरसागर में भगवान श्री विष्णु के पास गए। श्रीविष्णु जी ने सभी राजाओं को राजा और विनती की मुक्ति की स्थापना की। इंद्र आदि देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान श्रीविष्णु बोले-देवों में शत्रु का शीघ्र ही वध होगा। जब देवताओं ने श्री विष्णु जी को भूमि पर युद्ध करते देखा तो उन पर अस्त्र-शास्त्रों का प्रहार करने लगे। श्रीविष्णु मुर भगवान को मारने के लिए उनके सभी तेज से विनाश के उपाय करें। श्रीविष्णु उस दैत्य के साथ सहस्त्र वर्षों तक युद्ध करते रहे लेकिन उस दैत्य को न जीत सके। अंत में विष्णुजी शांति विश्राम की इच्छा से बद्रीकाश्रम में सिंहावती नाम की गुफा, जो बारह योजन लंबी थी, शयन करने के लिए चले गए। देवता भी उस गुफा में चले गए, कि आज मैं श्रीविष्णु को मार कर अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लूंगा। उस समय की गुफाओं में एक अत्यंत सुंदर उत्पन्न हुई कन्या और देवता के सामने ज्ञान युद्ध हुआ था। दोनों में देर रात तक युद्ध हुआ और उस कन्या ने राक्षस को चकमा घाट पर मौत के घाट उतार दिया और उस देवता के सिर को इस प्रकार काट दिया गया कि उसे देवता की मृत्यु प्राप्त हुई। उसी समय श्री हरि की निद्रा मैत्री, देवता को देखकर आश्चर्य हुआ और विचार करने लगे कि राम ने मारा। इस पर कन्या ने कहा कि जिस समय मेरे शरीर का निर्माण हुआ था, उसी समय हत्या की तैयारी हो गई थी। भगवान श्री विष्णु ने उस कन्या का नाम ब्रह्माण्ड बताया था।

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